Saturday 13 May 2023

फरेपान

वो जले दूध का भगोना
जिसे तुम फरेपान कहती हो
उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू
मुझे तुम्हारी याद दिलाती है।

वो बर्तन मेरी तपती भावनाओं को उफ़ान देता है।
ज़ेहन न हो उस पर कभी कभी 
तो पतीले से बाहर, बिखर कर बह भी जाता है।
फिर स्वयं से ग्लानि और कुपितता भी उबल पड़ती है।

पर अब फ़र्श पे बर्बाद, बिखरी पड़ी
इन तरलता सम्पन्न भावनाओं को
समेट कर साफ़ भी तो करना है।
नहीं तो जीवन पे चिपचिपाहट रह जायेगी,
और वही भीमी गंध ततपश्चात बदबूदार यादें बनकर
हमें त्रस्त करती रहेंगी।

ख़ैर, ये बातें तो बेहूदा हैं,
क्योंकि मै जो कहना चाहता हूँ
वो ये है कि जब भी उस दूध के
पुराने भांडे को देखता हूँ तो
सारा शब्दकोष प्रज्ञान होने के बावजूद भी 
दूध की तरह उद्वाष्पित हो जाता है
और आख़िर मे मुँह से फरेपान ही निकलता है।

Friday 10 February 2023

बड़ा अच्छा लगता है

इन लटों को लहराते रहने दो ऐसे ही, न बांधों जूड़े के बंधन में 

तुम्हारे गेसुओं की यही हरकतें, ये अंदाज़ बड़ा अच्छा लगता है। 


बरसात का मौसम, उसपे तेरे साथ दमकती हरीयाली भरे रासतों पर 

तेरा हाथ पकड़ घूमना, हसना, मुसकुराना बड़ा अच्छा लगता है। 


तुम्हारी तड़कती नाक के नीचे और लिपस्टिक से सने होठों के ऊपर, 

उस बीच वाले हिस्से पे अब्र की बूंदों का जमघट बड़ा अच्छा लगता है। 


अपनी नर्म ज़ुबान को, किसी पुताई वाले नए ब्रश के मानिंद, अपने होंठों पर 

फेर कर, ख़ुद की ही मिठास को तुम्हें चखता देख बड़ा अच्छा लगता है। 


ढाबों पर, मेरी सलाह के ख़िलाफ़, अपने मन का खाना मंगवाना और फिर उसे चखते ही मूँह बनाना, 

और फिर मेरी ही थाली से बेशर्मी के साथ तुम्हारा बेरोक-टोक मेरा खाना खा जाना               बड़ा अच्छा लगता है। 


शाम से लेकर आधी रात तक तुमसे कुछ प्यारी, कुछ संजीदा, कुछ बकवास, कुछ उबाऊ, 

ऐसी हीं लंबी बाते कर सो जाना, और मेरे सपनों में फिर से तुम्हारा आकर मुझे जगाना               बड़ा अच्छा लगता है। 


तड़के सुबह रब से पहले तेरा ख़्याल आना कहीं कोई पाप तो नहीं? 

पाप है अगर तो इसे करने का इतना उतावलापन क्यों होता है? 

क्यों तेरा ख़्याल करना फिर बार बार मुझे बड़ा अच्छा लगता है? 


कहतें हैं कि भगवान आपको उस से प्यार नहीं करने देगा जो आपके प्यार के लायक नहीं, 

हाँ मगर प्रेम सिद्ध हो जाए ये ज़मानता भी तो नहीं। ये जानकर भी प्यार करते रहना            बड़ा अच्छा लगता है। 


कई तारीख़ों मे, और न जाने कितनी ही यादों में, तेरी भीनी ख़ुशबू बसी हुई है 

किसी दिन-वार के बहाने, तेरी याद के बहाने तुझे सूँघना बड़ा अच्छा लगता है।